*छोड़ दीजिए *
एक दो बार समझाने से कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना
*छोड़ दीजिए*
बच्चे बड़े होने पर वो खुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना
*छोड़ दीजिए*
गिने चुने लोगो से अपने विचार मिलते हैं,
एक दो से नहीं जुड़े तो उन्हें
*छोड़ दीजिए*
एक उम्र के बाद कोई आपको ना पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पे लेना
*छोड़ दीजिए*
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना
*छोड़ दीजिए*
इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना
*छोड़ दीजिए*
हर किसीका जीवन अलग,
कद, रंग सब अलग है इसलिए तुलना करना
*छोड़ दीजिए*
मैं दोस्त के रूप में अच्छा लगूँ तो ठीक वरना मुझे भी
*छोड़ दीजिए*
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना
*छोड़ दीजिए*
*ये संदेश अच्छा लगे तो ठीक ना लगे तो हल्के में लेकर छोड़ दीजिए*. *। *जय जिनेंद्र जी*