Tea & Parle G

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कॉफ़ी में भरपूर नफ़ासत है ,चाय थोड़ी 'अल्हड़' है 
महँगा सा कोई कप बॉयफ्रेंड है इसका ,चाय का प्रेमी कुल्हड़ है 

महँगे cafeteria में किसी मशीन में बनती हुई ख़ुशबू बिखेरती ये मोहतरमा…
वहीं एक पुराने स्टोव पर,एक हत्थेदार बर्तन में,अदरक की महक फैलाती चाय 

कॉफ़ी के साथी कुकीज़ हैं जो सभ्यता से, एक bite एक sip की rhythm में चलती है ……
पर चाय तो Parle-G के बिस्कुट को ही अपने प्रेम में पूरा डुबा देती है 

तरह तरह के आर्ट से उभारा जाता है , सौंदर्य कॉफ़ी का मानो किसी विदेशी दुल्हन को मेहँदी लगी हो …
और चाय !! बिना मेकअप, अपना सांवलापन लिए शादी से पहले घर से भागी लड़की 

मुझे ये खौलता अध्याय पसंद है 
मुझे हर मर्ज़ का ये उपाय पसंद है 
मुझे चाय पसंद है 

(राजीव खैरा - काग़ज़ की केतली)

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