Vande Mataram

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*दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,*
*होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,*
*वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,*
*सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।*

।।वंदे मातरम्।।🙏🇮🇳

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