Army Tenure Posting

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ये जो फ़ौज वाली दोस्ती है ना , दोस्तों... 
इसका भी एक अजीबोगरीब अफ़साना है ! 
साल , २ साल का साथ यहाँ ... तो फिर .. 
एक नए शहर ( स्टेशन)नयी जगह को जाना है ! 
फिर से कुछ नए दोस्त , फिर नया याराना है ...
बड़े चाव से हम यहाँ अपना घर बसा रहे थे ..
चंद नये दोस्तों के साथ आनंदमौज माना रहे थे ...... 
सुराजकुंड मेले और दिल्लीहाट से करके इकट्ठा साजो सामान ... MES के घर को ख़ूब सजा रहे थे .... 
एक ऑर्डर मिलते ही ... एक तारीख़ तय हो गयी ... और हम समझ गये ... की इस शहर और दिल अज़ीज़ दोस्तों से अब दूर जाना होगा ... 
अब कहीं और अपना नया आशियाना होगा ! 
ये दोस्त अब यही छूट जाएँगे .... क़ेवल दिलों में और तस्वीरों में नज़र आएँगे !! 
ये फ़ौज वाली दोस्ती और दोस्त दोनो अजीबोगरीब होते है ..... 
खूनका रिश्ता तो नहीं ... लेकिन किसी रिश्ते से ज़्यादा दिल के क़रीब होते है ... 
ना हम बचपन के साथी है ... 
ना हम साथ में पढ़े है ...
ना हम एक शहर या प्रान्त के है ,
ना साथ पले बढ़े है !! 
हम बचपन से तो नहीं ... लेकिन 55 में साथ है ... 
एक से जज़्बात और एक से अहसास है ! 
पिछले 28 सालों में कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमने घर बसायें है ... 
हर स्टेशन पर कुछ  नए रिश्ते (दोस्त) बनाए है!!
बातों में हम ज़िक्र भी कुछ यूँ किया करते है ...
ये दुपट्टा देखते हो... रूपी ने पंजाब से मेरे लिये लाया था ... 
और ये फ़िशिंग नेट ऊषा ने हमें केरला से भिजवाया था... 
यें मोतीयो का सेट संध्या से हमने हैदराबाद से मँगवाया था ...
ये सारे गमले मुझे ' RANI '  दे गयी थी....
अब मेरे पास मेरी हाथ की बनी कोई मूर्ति नहीं ......क्यूँकि सभी मूर्तियाँ 'Celia ' अपने साथ ले गयी थी ..... 
ये कटोरी रुचि की है..... ( घर से आया माँ के हाथ का बना अचार) दे गयी थी ....
'जब 1995' में हम साथ रहते थे .... 
कितने सुख और  दुःख एकसाथ सहते थे ! 
हर दोस्त अपने आप में बेमिसाल और लाजवाब थीं ..
किसी की खनकती हँसी अब तक कानो में गूँजती है ...तो कोई कितनी फुल्ल ओफ़ जोश थी ..... 
इडली खिलाने वाली Mrs. Sundaram थी , तो रोज़ Babita आवाज़ लगा कर चाय पिलाने वाली Mrs. Ghosh थी....
हर दोस्त बेमिसाल हुनर और खूबियों से भरपूर थी .... 
जीवन में कितनी भी बिज़ी हो , पर एक दूसरे का ख़्याल रखतीं ज़रूर थी !! 
किसी ने क्रोशे तो किसी ने केक सिखाया.......
तो एक दोस्त ने बच्चों को बेहतरीन पालने का टिप्स बताया ...... 
वो बाग़वानी में माहिर है ... तो उनकी शॉपिंग स्किल्ल्स कमाल है 
मेरी हर दोस्त बेहतर और बेमिसाल है ...
वो शहर, वो स्टेशन, वो घर छूटते गए लेकिन दोस्त दिलों में घर करते गए .....
और आज मेरा दिल मेरे दोस्तों का आलीशान आशियाना है .....
या यूँ कहे की मेरा दिल मेरे दोस्तों का पर्मनेंट ठिकाना है 
इस फ़ौज वाली दोस्ती को दिल से सलाम है
इन्ही दोस्तों से अपनी भी एक पहचान है ! 

अगर आज हम उनका ज़िक्र करते है , तो वो भी कहीं हमारा ज़िक्र करते होंगे ..... 
अगर हम उनकी फ़िक्र करते है तो वो भी हमारी फ़िक्र करते होंगे......
क्या फ़र्क पड़ता है दोस्तों, दूर रहो या नज़दीक रहो......
हम तो यही दुआ करते है कि , जहाँ भी रहो बस ठीक रहो.... 
शहरों में भले ही दूरियाँ हो , लेकिन दिल से दिल के क़रीब रहो !!
 पता नहीं किसने लिखा है? दिल को छुआ, लगा कि मेरे लिए ही लिखा गया है। यह मेरी ही कहानी है इस लिए पोस्ट कर दिया।  देखते हैं और किस-किस को इन पंक्तियों में अपना अक्स दिखाई दिया।

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